Election Ink Story

कभी जानी है वोट वाली स्याही की कहानी, की सिर्फ उंगली दिखा के फोटोशूट ही किया है, अब जानिए जल्दी क्यों नहीं मिटने से लेके सबकुछ

Election Ink Story

Election Ink Story

Election Ink Story : जब-जब कोई भी चुनाव आता है और हम वोट डालने जाते हैं तो वोट डालने पर हमारे हाथ की एक उंगली पर स्याही (Election Ink) का निशान लगा दिया जाता है| चुनावी स्याही का यह निशान इतना पक्का होता है कि जल्दी से छुटाए नहीं छूटता| लेकिन इस बीच कई लोग इसे छुटाने का प्रयास करते हैं तो वहीं कई लोग यह सोचते हैं कि आखिर यह कैसी स्याही है जो छूटती नहीं है| इस स्याही को लेके लोगों के मन में कई तरह के सवाल शायद जरूर उठते हैं| फिलहाल, इस चुनावी स्याही के न छूटने को लेकर पहली बात तो यह है कि इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी मतदाता चुनाव में एक से अधिक बार वोट न कर सके| धोखाधड़ी से बचने के लिए इस न छूटने वाली स्याही को महत्वपूर्ण भूमिका में लाया जाता है| इसके साथ ही आज हम आपको इस स्याही की पूरी कहानी भी बता रहे हैं| यह कहानी नए जमाने की जनरेशन जरूर जान ले| क्योंकि आजकल की जनरेशन वोट डालने के बाद उंगली दिखा सेल्फी जरूर लेती है और उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करती है| तो उन्हें इस स्याही की कहानी (Election Ink Story) भी पता होनी चाहिए|

चुनावी स्याही का सफर .....

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह चुनावी स्याही भारत में सिर्फ एक ही कंपनी की ओर से बनाई जाती है। जिसका नाम है मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (MPVL)| बताया जाता है कि साल 1937 में इस कंपनी की स्थापना हुई थी| लेकिन एमवीपीएल का नाम तब ज्यादा चमका जब उसका कॉन्ट्रैक्ट चुनाव आयोग के साथ हुआ| स्याही की आपूर्ति के लिए कंपनी के साथ समझौता किया गया|

1962 के चुनाव से प्रयोग...

बताते हैं कि, इस स्याही का प्रयोग 1962 के चुनाव के साथ ही किया जा रहा है। इस स्याही को भारतीय चुनाव में शामिल कराने का श्रेय देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन को जाता है। शुरुआत में केवल संसदीय और विधानसभा चुनाव के लिए स्याही की आपूर्ति शुरू की गई लेकिन बाद में अन्य चुनाव के लिए भी स्याही की आपूर्ति शुरू कर दी गई| एमपीवीएल के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाली यह स्याही 40 सेकंड से भी कम समय में पूरी तरह से सूख जाती है। हालांकि, अगर स्याही एक सेकंड के लिए भी त्वचा पर रही है, तो यह अपना प्रभाव छोड़ देती है| अभी तक चुनाव आयोग इसके दूसरे विकल्प को नहीं तलाश पाया है। 60 साल से अधिक समय से चुनावों में इस स्याही का बखूबी इस्तेमाल हो रहा है|

कीमत कितनी.....

एक लीटर स्याही की कीमत 12 हजार 700 रुपये के करीब बताई जाती है| वहीं, इसकी हर एक बोतल में 10 एमएल स्याही होती है और 10 एमएल वाली बोतल की कीमत 127 रुपये के करीब है। अब एक बूंद के हिसाब से इस स्याही की कीमत का हिसाब आप खुद ही लगा लीजिये|

जल्दी क्यों नहीं मिटती वोट वाली स्याही.....

बताते हैं कि, इस स्याही को बनाने में सिल्वर नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है। सिल्वर नाइट्रेट  एक बार त्वचा के किसी भी हिस्से पर लगने के बाद जल्दी हटाया नहीं जा सकता। वहीं, पानी के संपर्क में आने पर काला हो जाता है| इसे साबुन से नहीं धोया जा सकता। यह अपने-आप धीरे-धीरे त्वचा से हल्का होता है और मिट जाता है|

किस उंगली में लगेगी स्याही और उंगली न हो तो .....

चुनाव आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार, मतदाता के लेफ्ट हैंड यानी बाएं हाथ की तर्जनी (फोरफिंगर) उँगली पर त्वचा से लेके नाखून के ऊपर तक लगाई जाती है। यदि किसी के बाएं हाथ में तर्जनी उंगली नहीं है तो फिर क्या होगा। ऐसे हालात में उस व्यक्ति के बाएं हाथ की किसी भी उंगली पर स्याही लगाई जा सकती है। यदि बाएं हाथ पर कोई भी उंगली नहीं है तो फिर दाएं हाथ की तर्जनी पर यह स्याही लगाई जाती है। यदि उसके दाएं हाथ में भी फोरफिंगर नहीं हो तो दाएं हाथ के किसी भी उंगली में स्याही लगाई जा सकती है। यदि उसके दोनों हाथों में कोई उंगलियां नहीं हैं तो दोनों हाथ के किसी हिस्से पर भी स्याही का प्रयोग किया जा सकता है। यदि दोनों ही हाथ नहीं है तो पैर के अंगूठे पर स्याही लगाई जाती है।